सोमवार, २३ नोव्हेंबर, २०१५

चल चले उस जगः

 चल चले उस जगः
 कोई नही हो अपने सिवा….।।

मै हात तेरा थामू
बस साथ तेरा मांगू
तू शर्माते हुवे निकले
जब दीदार तेरा मांगू
       मेरे आंखोमें खुदको देख
       तू सिमट जाये कली की तरः
       चल चले उस जगः
       कोई नही हो अपने सिवा…. ।।१।।

तेरे हातो पे नाम मेरा
जब उन्ग्लीयो लिखू मै
तू थरथराये किसी पत्तोन की तरः
तुटके मुझमें बिखरनेको
        उन पत्तोन की सरसराहत
        मन मे मेरे बिजली की तरः
        चल चले उस जगः
        कोई नही हो अपने सिवा…….।।२।।

फ़िर धिमी आवाज में मै पूछूंगा
इझहारे मोहब्बत करदो
बस्स तेरी झुकी पलके
सब बयाँ कर देंगी
        फ़िर कोई आवाज ना हो
        अपने धडकनों कें सिवा
        चल चले उस जगः
        कोई नही हो अपने सिवा…….।।३।।

चल चले उस जगः
कोई नही हो अपने सिवा…….

-प्रशांत भोपळे
(Date:२३/११/२०१५)
  

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